ग्राउंडिंग और अर्थिंग
दोस्तो ग्राउंडिंग और अर्थिंग में कोई बडा अंतर नही है आइये जानते हैं इसके विचार ने कहाँ से जन्म लिया।
Q. Grounding और Earthing का कॉन्सेप्ट कहाँ से आया?
दोस्तो जर्मन वैज्ञानिक कार्ल अगस्त स्टीनहिल के द्वारा 1836-1837 में खोजा गया था, कि सर्किट को पूरा करने के लिए वापसी पथ के रूप में जमीन का उपयोग किया जा सकता है, जिससे रिटर्न वायर अनावश्यक हो जाता है। और कोस्ट सेविंग भी हो जाती है। इस तरह ग्राउंडिंग-अर्थिंग का कांसेप्ट आया।
Q. Grounding और Earthing क्यों की जाती है?
इलेक्ट्रिकल अर्थिंग शब्द का प्रयोग इंग्लैंड में किया जाता है और इलेक्ट्रिकल ग्राउंडिंग का प्रयोग अमेरिका मैं होता है। दोनों में इलेक्ट्रिकल सर्किट को जीरो पोटेंशियल(अर्थ का पोटेंशियल) के साथ जोड़ा जाता है ताकि इलेक्ट्रिकल सिस्टम में Human safety और Equipment/Machine safety बनी रहे।
इलेक्ट्रिकल सिस्टम में फेलियर आने के बहुत कारण हो सकते हैं। इन कारणों से उत्पन्न हुए अनचाही या लीकेज करंट, जो की हमारे लिए और मशीन/इक्विपमेंट के लिए भी खतरा हैं, को समाप्त करने के लिए ग्राउंडिंग और अर्थिंग बहुत जरूरी है।

Q. Earthing कैसे की जाती है?
दोस्तो किसी इलेक्ट्रिकल मशीन/डिवाइस के मेटल भाग को एक कंडक्टर से जोड़ना और इस कंडक्टर को सीधा धरती से जोड़ना अर्थिंग कहलाता है।
खासकर ये क्रिया हमारे घरों में भी होती है जिसमें एक अर्थ-पिट(गढ्डा) के अंदर कुछ गहराई तक मेटल रॉड/प्लेट को डाला जाता है जिसका शिरा वायर से कनेक्ट होकर इक्विपमेंट के बॉडी से जुड़ा हुआ होता है।
Q. Electrical system मैं Earthing होने से Human safety कैसे होती है?
यदि Equipment या machine के सर्किट के wire के बाहर का आवरण निकल जाए(इंसुलेशन डैमेज) तो करेंट इक्विपमेंट/डिवाइस के बाहरी आवरण में प्रवाहित होने लगेगी। और हम इसे छू लें तो भयंकर झटका लग सकता है
लेकिन अगर इलेक्ट्रिकल सिस्टम मैं Earthing मौजूद है तो Earthing होने के कारण करेंट का पाथ बदल जायेगा। करेन्ट का पाथ होगा- मशीन की बॉडी से > वॉल सॉकेट अर्थ पिन होल से > हाउस अर्थ वायरिंग से > अर्थ-पिट और करंट धरती में समाप्त हो जाएगी। इसलिये करंट कम रेसिस्टिव रास्ते को चुनेगी और हम सुरक्षित रहेंगे। अतः इस पूरी प्रक्रिया को अर्थिंग कहा जाता है।
Q. Grounding क्या होती है?
ग्राउंडिंग का मतलब इलेक्ट्रिकल सर्किट के सप्लाई पाथ को पूरा करना है जिसे हम न्युट्रल(रिटर्न पाथ) कहते हैं।
Generating station (जहाँ बिजली पैदा की जाती है) से Distributing Transformer (जहाँ से बिजली बांटी जाती है) तक 3-फेज वायर को ही भेजा(ट्रांसमिट) जाता है उसके बाद डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर के सेकेंडरी वाइंडिंग में स्टार केनेक्शन(स्टार कनेक्शन में कॉमन पॉइंट पर किसी भी समय वोल्टेज 0V होगा) किया जाता है। इस कॉमन पॉइंट को धरती से जोड़ देते हैं जिसे हम ग्राउंडिंग कहते हैं।
Q. Grounding कैसे की जाती है?
स्टार केनेक्शन मैं वाइंडिंग के शिरों को एक कॉमन पॉइंट पर जोड़कर उसे ग्राउंड कर दिया जाता है। जहां से हमको न्युट्रल प्राप्त होता है और इसके बाद ही 3-फेज 1-न्युट्रल(4-वायर) को आगे भेजा जाता है।
वैसे तो ग्राउंडिंग करने की जरूरत नही पड़ती क्यो की कॉमन पॉइंट एक रिफरेन्स पॉइंट(0 Volt) होता है। पर लोड का बराबर वितरण ना होने की वजह से इस पॉइंट पर भी पोटेंशियल हो सकता है और करंट(अनवांटेड करंट) भी प्रवाहित हो सकती है अतः रिटर्न करंट को पूणतः समाप्त करने के लिए इस कॉमन पॉइंट को धरती से जोड़ देते हैं जिसे हम ग्राउंडिंग कहते हैं।
दोस्तो उपर फिगर मैं 3-फेज ट्रांसफॉर्मर दिखाया गया है। जिसमें यदि वायर ट्रांसफॉर्मर की बॉडी से कनेक्ट होकर धरती से जुड़ा हुआ है तो इसको हम अर्थिंग कहते हैं। और यदि वायर ट्रांसफॉर्मर की सेकेंडरी वाइंडिंग के कॉमन पॉइंट से जुड़ कर धरती से कनेक्ट हो तो इसको हम ग्राउंडिंग कहते हैं।
अर्थिंग और ग्राउंडिंग में अंतर
दोस्तो इलेक्ट्रिकल या इलेक्ट्रोनिक सर्किट की ग्राउंडिंग या अर्थिंग करने के बहुत से कारण हो सकते हैं। चूँकि दोनो एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और दोनों अंत में ग्राउंड में ही डिस्चार्ज होते हैं तो ज्यादा अंतर नही हैं। पर फिर भी इन कारणों से हम दोनो में विभेद करने की कोशिश करेंगे।
- अर्थिंग किसी इक्विपमेंट/डिवाइस के बॉडी से कनेक्ट होकर धरती से जुड़ा हुआ होता है। जबकि ग्राउडिंग मैं ट्रांसफार्मर से निकले न्यूट्रल को धरती से जोड़ते हैं।
- अर्थिंग ह्यूमन सेफ्टी(Human safty) के लिए उपयोगी है जबकि ग्राउंडिंग इक्विपमेंट/डिवाइस सेफ्टी के लिए जरूरी हैं।
- अर्थिंग इंसानों की सुरक्षा के लिए किया जाता है जबकि ग्राउंडिंग लोड को बलैंस करने के लिए किया जाता है।
- किसी कंडक्टर में सही वोल्टेज को मापने के लिए एक रिफरेन्स पॉइंट की जरूरत होती है। अर्थात वोल्टमीटर की एक प्रोब लाइव वायर(फेज वायर) तथा दूसरी को नुइट्रल वायर(जीरो पोटेंशियल,रिफरेन्स वायर) पर रखा जाता है। ये न्युट्रल वायर हमको ग्राउंडिंग के मिलती है जबकि अर्थिंग का इसमें कोई रोल नही है।
- अर्थिंग में इलेक्ट्रिकल सर्किट डिवाइस/इक्विपमेंट के आवरण के साथ भौतिक रूप(फिजिकली) से जुड़ा हुआ होता है जबकि ग्राउंडिंग में सर्किट भौतिक रूप से नहीं जुड़ा हुआ होता हैं।
- अर्थ वायर हरे रंग का होता है जिसपर पिले रंग की लाइन रहती है। जबकि ग्राउंड वायर हरे रंग का लिया जाता है।